
वक्त कितना अनमोल है, तेरे बिना इसका भी क्या मोल है।
बह रहा है पानी कि तरह मैं ठहरा हुँ, मगर साहिल तो कहीं और है।
सोचने को मजबूर हो गया, दिल मै उठा ये केसा शोर है।
निकल पड़ा था जिस रास्ते पर, थम गया वहीं और तू निकला किस और है।
घुटन है चुभन है ये न जाने केसी तड़प है, जेसे छाई घटा घनघोर है।
चलना होगा तुम्हें मेरे संग, अभी तो हमें जीना ज़िंदगी का दूसरा मोड़ है।
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