ये भीनी भीनी महक लिये हवायें, कोशिश कर रही हैं , कुछ कहने की। शायद पहुँचा चुकी है खबर, उन तक, हमारे आने की। होंगे तो खुश बहुत वो भी। आ गया है वो, था जिसका बेसब्री से इंतज़ार कभी। उनकी ख़ुशी में देखो, झूम रहा है आकाश भी। कर रहा है अपनी ख़ुशी, का... Continue Reading →
काश
काश ये दिल पत्थर हो जाये। हर दर्द इसमें दफ़न हो जाये। कोशिश करे कोई लाख मगर, इसे न कोई तोड़ पाये। आवाज़ भी किसी के दिल की, टकराकर इस पत्थर से लौट जाये। अब फिर न इसे कोई तोड़ पाये। –Anuneel Enjoyed reading this poem ? Check similar poems : सिलसिला ,सुबह शाम ,अनजान... Continue Reading →
सिलसिला
जब भी करते हैं आँखे बंद, आ जाते हो हमेशा सामने तुम। भुलाना तो बहुत चाहा था, की थी कोशिशें भी बहुत। मगर नहीं होता ये सिलसिला बंद, पलकों के झुकने का। चलता है ये सिलसिला जीवनपर्यन्त। सजदा करते ही, झुकती हैं पलकें और नज़र आ जाते हो हमेशा सामने तुम। –Anuneel Enjoyed reading this... Continue Reading →
सुबह शाम
सुबह होती है,शाम होती है, दिन ढलते देर नहीं होती है। सुबह से लेकर शाम, पंख लगाये पैरों मैं वो खुदको उड़ते दिखती है। ढलते सूरज की सुस्त शाम के साथ, कुछ देर फिर वो रुकती है। कुछ पल चुराकर ढलते पहरों से, अक्स देख इठलाती है। फिर अचानक न जाने किन ख़यालों मैं वो... Continue Reading →
वक्त
वक्त कितना अनमोल है, तेरे बिना इसका भी क्या मोल है। बह रहा है पानी कि तरह मैं ठहरा हुँ, मगर साहिल तो कहीं और है। सोचने को मजबूर हो गया, दिल मै उठा ये केसा शोर है। निकल पड़ा था जिस रास्ते पर, थम गया वहीं और तू निकला किस और है। घुटन है... Continue Reading →
ऐ शाम तुझे मैं क्या नाम दूँ ……💕
ऐ शाम तुझे मैं क्या नाम दूँ। तू बहुत ख़ूबसूरत है, तुझे मैं दिल दूँ या जाँ निसार दूँ। ऐ शाम तुझे मैं क्या नाम दूँ। तू शब्द है, संगीत है या मेरे पन्नों पर बिखरी कोई ग़ज़ल है। बन जा तू ग़ज़ल मेरी, तुझ पर तो सारा वक़्त बिसार दूँ। ऐ शाम तुझे मैं... Continue Reading →
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