
ऐ शाम तुझे मैं क्या नाम दूँ।
तू बहुत ख़ूबसूरत है, तुझे मैं दिल दूँ या जाँ निसार दूँ।
ऐ शाम तुझे मैं क्या नाम दूँ।
तू शब्द है, संगीत है या मेरे पन्नों पर बिखरी कोई ग़ज़ल है।
बन जा तू ग़ज़ल मेरी, तुझ पर तो सारा वक़्त बिसार दूँ।
ऐ शाम तुझे मैं क्या नाम दूँ।
समा जा महक बनकर साँसों मैं मेरी।
आ बनाकर जीवन, तुझको मैं स्वीकार लूँ।
Bahut khuub ☺☺☺
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Thank you 😊 Bhai
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Such a beautiful line…heart touching.
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Thanks for visiting Happiship 😊
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AEL MAGNIFICO NUNEEL, CHINA
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